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डड़कटवा के विरासत

 डड़कटवा के विरासत जब सावन आवेला त रोपनी आ खेती जमक जाले , लोग भोरही फरसा (फावड़ा) लेके खेत के हजामत बनावे चल दे ला , ओहमें कुछ लोग स्वभाव से नीच आ हजामत में उच्च कोटि के होला ओहके डड़कटवा (खेत का मेड़ काट कर खेत बढाने की नाजायज चेष्टा रखने वाला व्यक्ति )के नाम  से जानल जाला .. डड़कटवा हर गांव में  लगभग हर घर में  पावल जाले , डड़कटवा किस्म के लोग कई पुहुत (पुश्त) तक एह कला के बिसरे ना देलन  , कारण इ होला की उनकर उत्थान -पतन ओही एक फीट जमीन में  फंसल  रहेला  , डड़कटवा लोग एह कला के सहेज (संरक्षित ) करे में सगरो जिनिगी खपा देलें आ आवे वाली अपनी अगली पीढ़ी के भी जाने अनजाने में सीखा देबेलें , डड़कटवा के  डाड़ (खेत का मेड़) काट के जेवन विजय के अनुभूति होखे ले , ठीक ओइसने जेइसन  पढ़ाकू लइका के केवनो परीक्षा के परिणाम आवे पर पास होइला पर खुशी होखे ले |       कुल मिला के जीवन भर डाड़ काट के ओह व्यक्ति की नीचता के संजीवनी  मिलेले आ ओकर आत्मा तृप्त हो जाले बाकी ओके भ्रम रहेला की खेत बढ़ गईल , काहे की ,एकगो कहाउत कहल जाले की...

सरकारी स्कूल बच्चे शिक्षक और भविष्य

 


यूट्यूब से प्राप्त वीडियो सुनने के बाद मैंने कहा.. 


साभार सोशलमीडिया से प्राप्त




अक्ल रह कर भी क्या करेगीं कुछ  आन्दोलन तो कर नहीं सकते थे आप लोग क्योंकि संख्या कम थी अब संख्या तो बढ़ गई  भेड़ जैसे | 

लोग दूसरे तरीके से अपना भविष्य सुरक्षित करने में लगे हैं |

जिस सरकार ने ये कानून लागू किया वही अब सत्ता में है  | हम तो कुछ नहीं बोलेंगे भाई क्योंकि हम सरकार के समर्थक हैं | और हाँ हमने  कटरा बनवाकर किराए पर दे दिया आराम से तीस हजार महिने मिल जाएंगे बुढ़ापे में भी तो क्यों करना धरना आन्दोलन | 

और बुरी ही सही NPS भी ले रखा हूँ | कुछ तो मिल   ही जाएगा | और करता भी क्या सरकार जबरिया रिटायर्ड का कानून लायी है, खामोखा उच्च अधिकारियों की नजर पे चढ़ा तो समय से पहले रिटायर्ड कर दिया जाउंगा | 

और रही बात स्कूल बन्द होने की तो सरकार हमें तो कहीं न कहीं फिट कर ही देगी |

           हाँ हमें याद है BSNL, सरकारी हवाई सेवा, रेलवे, भारतीय , LIC इसी तरह बिके |

 लेकिन हम कर भी क्या सकते हैं | सरकार वही हैं, जो करेंगे हमारे भले के लिए ही करेंगे |


       अरे हां सरकार से याद आया कल कक्षा तीन की एक बच्ची पूछी सर हम लोगो को किताबें कब तक मिलेगी आप झूठ बोलते हैं, बोले थे की जून  में सारी किताबें मिल जाएंगी |

     मैंने कहा हां मैंने कहा तो था परन्तु अभी किताबें आइ नहीं   तो कैसे मिलेंगी | 

      फिर उसने पूछा हम लोगो की किताबें सरकार की तरफ से मिलती हैं न, हम ने कहा हां आप की किताबें सरकार के तरफ से ही मिलती हैं | 

        तो बच्ची ने फिर पूछा सरकार कौन है, मैं अभी कुछ कहता तब तक एक बच्चा बोला  श्री योगी  आदित्यनाथ.. 

बच्ची ने बहुत ही मासूमियत से कहा उनके बच्चे  नहीं हैं क्या❓

मैं उस बच्ची को देख रहा था | वह मासूम गुस्सा और शिकायत  | मैं सोच रहा था कि इसे कैसे समझाऊँ कि आप भी उन्ही के बच्चे हैं | इतने बड़ा प्रदेश है, सबकुछ देखना होता है |केवल यही काम थोड़े ही है |

         फिर हम लोग डीबीटी और आधार बनवाने में व्यस्त हो गये |

        बस...

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